बुधवार, 14 फ़रवरी 2018

आओ सरयू से बात करें -सुखमंगल सिंह 'मंगल'पालीवाल

आओ सरयू से बात करें- सुखमंगल सिंह'मंगल'पालीवाल https://www.bing.com/search?q=+%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2+%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&qs=n&form=QBRE&sp=-1&ghc=1&lq=0&pq=+%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2+%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&sc=7-13&sk=&cvid=C0CEEFB155EE49F892A6E1544C22A24A&ghsh=0&ghacc=0&ghpl=

25 टिप्‍पणियां:

  1. "क्लीनिंग स्प्रे "
    नार्वे यूनिवर्सिटी आफ वर्गेन ने की एक शोध /
    उड़ गये विश्व के तमाम लोंगों के बैठे बैठे होश |
    टायलेट वाश वेसिन या शीशे सफाई वाले रसायन में दोष/
    जिससे महिलाओं के फेफड़े समय से पहले होते हैं कमजोर |
    वैज्ञानिकों के खोज में ज्ञात हुआ स्प्रे के रसायन में है खोट /
    जिसने श्वास नली को पहुचाते रहते वायु के माध्यम से चोट |
    उधर नाइजीरिया के मैदुगुरी शहर में हो गया है भारी विस्फोट /
    शरीर- फेफड़े को कर रहे छलनी अट्ठारह हलात बाईस में छोभ |
    हानिकारक रसायन म्यूकस की झिल्ली को करती रहती प्रभावित /
    रसायन के असरदार असर फेफड़े पर पड़ता रहता है दुस्प्रभावित |
    फेफड़े की क्रियाशीलता पड़ती मंद और उम्र होती रहती है भारी /
    वर्गेन यूनवर्सिटी का यह अनुसंधान निकलेगा दुनिया पर प्रभावी ||

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  2. लोहा को सोना बना देता है पारस पत्थर
    पानी स्वच्छ बनाता स्कोलेसाईट पत्थर |

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  3. "सत्य पर कठिन "
    दूसरों को बर्बाद करने वाले पहले खुद बरबाद हो जाता है |
    धन के बढ़ने पर गलत काम न करें | गलत काम से धन का नाश होता है|
    रिश्ते बनाते समय सत्य का सहारा लेने वाले को अपनाएं | सत्यवादी सच मार्ग बताने का काम करता है |
    वक्त सच और गलत कर्म की सीख्देता है |
    घमंड विनास का परिचायक होता है |
    इच्छाएं अनंत होती हैं | इच्छाएं उसको सही मार्ग पर लगाएं |
    खुशियों के लिए संतोष बड़ा हाथ है |
    विनम्रता उंचाई प्रदान कराता है |

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  4. "समाज "
    धनिक मित्र जो धोखा देता /
    विपरीत समय में वह रोता |
    शारीरिक क्रिया में आलस लाता /
    रोगी बनकर पहले मर जाता |
    हिंसा और घृणा को छोड़ें /
    सोशल मीडिया से खुद जोड़ें |
    भद्दापन अपने मन से छोड़ें /
    रचनात्मक आलोचना जोड़ें |
    मनमानी औ चिंता छोड़ें /
    सभ्य समाज दिल से जोड़ें |
    अच्छे मार्गदर्शक खोजें/
    विरले सक्षम जो जोड़ें ||

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  5. मेरे द्वार जब भी तू आया
    निर्मल जल औ गुण खिलाया
    तूने समझा स्वात किया मेरा
    हमने केवल अपना फर्ज निभाया।।

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  6. तूने मुझे दोपहर में गन्ने का कच्चा रस और
    हरी मटर की घुघरी प्रेम से भरपेट खिलाया
    तूने बोला आपका भरपूर स्वागत नहीं किया
    हमने सोचा आपने आयरन,प्रोटीन से भर दिया।

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  7. जाने क्यो अपने कृत्यों पर,लोग बाग इतराते /
    ठहरी नदियों की उस धारा में, ही लोग नहाते।
    सरजू की निर्मल धारा बह रही नहीं वे जाते/
    दर-दर भटक रहे बनरारी, हमराही नही पाते।
    स्वच्छ समन्दर की लहरों में गोता नहीं लगाते/
    घडियालो की पूछ पकडने में प्रभु पिता ।बहलाते।
    सुवह-साम पाथर पूजते माँ-बाप घर भरमाते/
    'मंगल' कहता सुना मनोहर माई बाप गुण दे जाते।।

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  8. १- ओबामा आये भारत -अमर उजाला २५ जनवरी २०१५ पर मेरी टिप्पड़ी -
    अच्छी हुई सुरक्षा ,तो हर्ष होना चाहिए
    हमारे भारतीयों को ,गर्व होना चाहिए |
    सारे जहा न आतंक ,आक्रोश होना चाहिए
    अपनी स्मिता का ओ होश होना चाहिए ||(६:३ A.M.,jan. 25,2015 )
    2-ajay singhगुजरात को टिप्पड़ी -
    गर लिख दूं अपनी यादें ,किताबों की तरह
    होगें बहुत से बलवे ,फिर यूं ही शहर में !
    कैसे बनेगा गुलशन ,अब फूलों के विना
    उजड़ी हैं कलियाँ इतनी रिश्तों के जहर में ||(२५/१/२०१५ )
    २अ -किस दिल से बयान करू बधाई
    आप तो मेरे दिल में बसे हो मेरे भाई |(२५/१/२०१५ )
    ३- सुन्दर विचार लेकर जब आप आ जाएँ !
    राम, की कृपा 'मंगल' जीवन सुखमय पाए |
    वैभव सारा साथ दिखे ,मंगल दुआ वही है
    कहिये कैसे किससे कहें उल्लास उमंग सही || (गूगल पर हाई.९ /१/१५ )
    ४- आज विश्व को हिंदी दिवस हौ मनाना हुआ
    दिल से ममता का कोई गाना-गाना हुआ ||(१०/१/२०१५ )
    ५-दिल्ली रेस्तरा में दो युवकों ने की फायरिंग -आजतक पर टिप्पड़ी -
    निगाहें लगाए रखना ,ठहरा सागर डगर
    क़ानून काम करता दिखता सारा नगर | (२५/१/२०१५ )
    ६- चीन में भी रिलीज होगी आमिर खान की पी.के. ...-दैनिक जागरण पर -
    इतिहास ही रहा कहता हमको ! हम रहे बदनाम
    गन कोई बन्दूक लाठी लेकर हमें करे सदा सलाम !(२५/१/२०१५)

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  9. सुखमंगल सिंह की डायरी वर्ष २०१७ (१)
    क्रमांक / शीर्षक/ मेरी डायरी में दिनांक वर् /लिखीगई,दिनांक वर्ष/ प्रकाशित
    १- चिड़िया फरवरी२८ ,२०१७ / नवम्बर४,१७ स्वर्गविभा
    २-अग्गेय (कवि ) मार्च ६,१७ -नवम्बर ४,१७ -------------------------------------
    ३-कुत्ता घर का ब्लागर सुखमंगल १९५७ ,नवम्बर ४,१७ --------------------
    ४- राम फरव्रि११,२०१४ --------------- -------------
    ५- नगर निगम मार्च८,१७ ------------ -------
    ६- लालच मार्च९,२०१७ --- --------
    ७-अफसर नहीं आते मार्च१०,१७ जुलाइ८,१७ नवजीवन की अपनी कहानियाँ
    ८-दीपक मार्च १३,१६ - जन १० २०१७ फेसबुक /पतिलिपि काम
    ९- बेटा मार्च१५,१७ ------- प्रतिलिपि काम
    १० आन्दोलन ? मार्च१७,२०१७ /अगस्त ९,१७ --------------
    ११- स्वच्छता मार्च २०,१७ /अगस्त १०,१७ / कोलाहल से दूर
    १२- चुनरी सिल रहा मार्च२२,,२४,२०१७ ------------- साहित्य शिल्पी
    १३-इतिहास रचते रहे मार्च२७,१७ ---------- ------------
    १४- कानूनन कुचला जाएगा , ----- मार्च २९,२०१७ ----------------
    १५- क्षणिकाएं अगस्त८,१७, अप्रैल ४,२०१७ -----------
    १६ - क्षणिकाएं अप्रैल ४&६ ,२०१७ अगस्त ८ ,१७ स्वर्गाविभा
    १७ -सत्ता -सुख अगस्त११,२०१७ अगस्त३० स्वर्गाविभा
    १८ गूगल सी इ ओ को पात्र अगस्त१३,१७ अक्टूबर २४,१७ ,गूगल
    १९-सूरज उगायेंगे अप्रैल१५,१७ अप्रैल१५,१७ ----------
    २०-गधा & गधे छा गये (ब्यंग ) अप्रैल १८,२०१७ --- अ० भा० स० एसो ०
    २१- सरयू में नहाते अप्रैल २५ ,२०१७ / अप्रैल ४ ,२०१८ /गूगल +सुखमंगल
    २२-राम तेरी गंगा अप्रैल २७ ,२०१७ / अप्रैल ४ २०१७/भौरे गाये ये कविताये
    २३ -भाषा -बोली मई५,२०१७ ----------- गूगल +सुखमंगल
    २४ मुक्तक --वही -- ९ /५/१७ को नवीन मौर्य के टाइम लाइन पर
    २५- बालवरगंज जौनपुर/समाचार ६मई१७/ २० मई २०१८ "जागो कण-कण झांको "
    २६- दो राहे पर?(व्यंग ) / मई८,२०१७ / दिसंबर ३,२०१७ -----------------
    २७- सोना उगेगा ?/ मई १०,२०१७ / दिसम्बर४,१७ -----------------
    २८-अहंकार -नारी /-वही - / मई ९,२०१८ /दुर्गेंद्र प्र० सिंह चौहान (वि.हि.सं.कनाडा )
    २९-खोज हो रहा(होलियाना ) / मई १२,१७/ दिसम्बर५,२०१७ --------------
    ३०-जयशंकर प्रसाद महान साहित्यकार /मई १५,२०१७/७-१-२०१७ /google+sukhmangal
    31-राम आये मोरा गाँव /मई१९,१७ /३०-४-२०१६ /Anil पा० -मन पाए विश्राम जहां ,Duliajan ,Assam
    32-परमात्मा की सत्ता /मई २२,१७ /मई १,२०१६ ----------
    ३३-विश्व पर्यावरण दिवस संरक्षण /मै२४,१७ /फरवरी ९,२०१६ ------------
    ३४- पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति मिले /मै२६,१७ / फरवरी ९,२०१६,१२:४४ P.M./एलोपोयट्री
    ३५-मुताहा निकाह /२९मई२०१७/ फरवरी १०,२०१६ / google +sukhmangal
    36-क्षणीकाएं /मई ३१,१७/ फरवरी २७,२०१८ /नवजीवन की अपनी कहानियां
    ३७-प्राइमरी स्कूल अहिरौली रानीमऊ /वही / ------------/ --वही ---
    ३८-कक्षा तीन से पांच /जून१,१७/ -----------------------/ नवजीवन की अपनी कहानियां
    ३९-मुक्तक /जून५,१७/ जून ६,२०१८ /फेसबुक
    ४०- जल जागरूकता /जून६,१७/ फरवरी २०,२०१८ /हिंदी कुञ्ज
    ४१-अपने अपनों में मस्त /जून८,१७/ जनवरी १६,२०१८/ सुविचार हिंदी काम
    ४२-हिंदी की शाख बढी /जून१०,१७/ जनवरी१७,२०१८ /अनमोल साहित्यिक लड़ियाँ
    ४३- हाई स्कूल-पढ़ाई /जून१३,१७/मार्च२,२०१८ ८:२५ A.M./ ------------
    44- काशी दर्शन एक झलक /जून १४&१६,२०१७/ प्रतिलिपि काम &अपनी बात आपके साथ
    ४५-शीर्ष नेता मोदी /जून१५,१७/नवम्बर २२,१७ /गूगल सार्वजनिक &अंग्वाल न्यूज
    ५६-मुक्तकऔर न्यूज /जून१७,१७/जून१,१६ व जुलाई १७,१७ /अखिल भारतीय सद्भावना
    एसोसिएशन
    ५७ -मोहतरमा आयेंगी ?/जून१९,१७/मई ३,२०१८ / ---------------
    ५८- सरयू की धार /जून२०,१७/दिसम्बर६,२०१५ ,8:२४ A.M./ कोलाहल से दूर रूपांतरण
    ५९-सरयू /--वही --/ मार्च२,२०१८ --------------------/वही ---------
    ६०-दुनिया /जून २१,१७/जन० ३,२०१८ /रास्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका में भेजा ३-५-२०१८

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  10. ६१-बंजर सजाएं -अलख जगाएं /जून२२,१७/ जनवरी ११,१८ / नवजीवन की अपनी कहानियां
    ६२-निहत्था घायल /जून२३,२०१७ /फरवरी२०,२०१८/ ----------------
    ६३- जल की उपयोगिता /जून२४,१७/जनवरी ११,२०१८ / जल जीवन आधार में प्रकाशित
    ६४-साई जगता -जगा रहा /जून२६,१७/फरव्री२०,२०१८ / ------------
    ६५- "मंगल" जून२७,१७/ फरवरी २५,१८/ प्रतिलिपि काम & नवजीवन की अपनी कहानियां
    ६६- क्षणिकाएं / -------------/अप्रैल २६,२०१८ /स्वर्विभा
    ६७- सुविचार /जून २९,१७/ जून २९,,2018/ हिंदी कविता (sukhmangal singh Hindi poetry)
    ६८ - क्षणिकाएं /जून३०,२०१७ / मार्च१,२०१८ / स्वर्गविभा
    ६९-रसिया सुना /जुलाइ३,२०१७ / फरवरी२६,२०१८ / प्रतिलिपि काम
    ७०- चालबाज राजनीति? /जुलाइ५,१७ / फरवरी२६,१८ / -------------
    ७१- क्षणिकाएं / जुलाइ७,२०१७ / फरवरी २७,२०१८ / नवजीवन की अपनी कहानियां
    ७२- स्कूल जब जाते/ जुलाइ१०,१७/फरास्वारी २७&२८,२०१८/ नवजीवन की अपनी कहानियां
    ७३-कक्षा पांच /जुलाइ१२,१७/ फरवरी२७,२०१८ रात्रि २:५२ / नवजीवन की अपनी कहानियां
    ७४-जूनियर हाई स्कूल /जुलाइ१४,१७/मार्च ७,२०१८ ,५:४० p.m. / ---वही ------
    75- शुभकामना /जुलाइ१५,२०१७/ जन्वरि१८,२०१८ / हरिशंकर पूना के टाइम लाइन,फेसबुक
    ७६- प्राइमरी पा० मुबारकपुर अंजन /जुला०१७,१७/फरवरी २८,१८ /नवजीवन की कहानिया आदि
    ७७- नैतिकता /जुला०१८,१७/मार्च २,२०१८/स्वर्ग विभा & नवजीवन की --------
    ७८- शिक्षा से सीखें / जुला०१९,१७/ फरवरी २८,२०१८ /प्रतिलिपि काम १/३/२०१८
    ७९-नरकट -किरकिट की लेखनी /जुला०२०,१७/मार्च१०,१८/हिंदी कुञ्ज में भेजा
    ८०- मालिक का धन /जुला० २१,१७/ जनवरी १७,२०१८ / -----------
    81-भारत प्यारा /जुला०२२,१७/जनवरी २०,२०१८/" सरजू तट से " में प्रकाशित
    ८२- जौहर में जलती / जला० २४,१७/ जनवरी २०,२०१८ / " सरजू तट से " में प्रकाशित
    ८३- पाती तो याद आयेगी /जुलाइ२५,२०१७/ २५जुलाइ१७/कोलाहल से दूर रूपांतरण
    ८४-रूद्र (भारत का नवनिर्मित हेलीकाफ्टर /जुला२६,१७/-----------/----------------
    ८५- चराग हूँ /जुला २७,१७ /फरवरी २,२०१८/ ------------
    ८६- कविता कह जाती /जुलाई २७ ,१७/ जुलाई २७,१७7:06 P.M./कोलाहल से दूर रूपांतरण
    ८७- चीख सुनना जरूरी है ,कहो?/ -वही---/ वही ---१२:१६ A.M. कोलाहल से दूर रूपांतरण
    88- आने वाला वसंत /जुलाइ२८,१७ /जनवरी२०,२०१८/विश्व रचनाकार मंच &google +
    89-किरणों का धरा प्रवेश /जुला० ३१,१७/जनवरी १७,२०१८ / -----------
    ९०- समाज / --वही-- /फरवरी१८,२०१८ / नवजीवन की कहानियाँ

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  11. ९१- भारत (INDPA) में बलात्कारी के लिए /अग्स्त८,१७/अग्स्त७,१७ (संकलन)
    ९२-स्वच्छता जागरण/अगस्त ९,२०१७/ अगस्त ९,१७,४:४४ P.M./कोलाहल से दूर रुपान्तरण कविता
    ९३- बिटिया ही कीजो / अगस्त१२,१७/ मई३,२०१८ /-----------
    ९४- बैकुंठ धाम अयोध्या /अगस्त१५,१७ /मार्च ८ ,२०१८/ -----------
    ९५-चित चोरी /अगस्त१६,१७/ फरवरी २४,१८/ ---------
    ९६- श्रेष्ठ नदी सरयू / अगस्त१७,१७/ मार्च८,२०१८ /हर्ष दीक्षितके फेसबुक
    ९७- क्षणिका / अगस्त१८,१७ / मार्च १०,२०१८/ ---------
    ९८- फूलों का गुलदस्ता /अगस्त१८,१७/ मार्च १०,२०१८ / Yashoda agrwal
    ९९- क्षणिकायें/अगस्त१९,१७/ मार्च१०,२०१८ / स्वर्गविभा
    १००-गाडी /अगस्त२१,१७/ मार्च १०,२०१८/ यशोदा अग्रवाल ,कवि अरुण जेमिनी
    १०१-भारत-चीन (व्यंग ) अगस्त२२,१७/मार्च३ ,१८/ --------------
    १०२- क्षणिका (व्यंग )/ अगस्त२२,१७/ -वही- / ------------
    १०३- लिंगानुपात /अगस्त२३,१७/ -वही - /यशोदा अग्रवाल ,निराला इला ०
    १०४- एड्स का इंजक्सन ? /अगस्त२४,१७/ अगस्त २४,२०१७/ कोलाहल से दूर रूपांतरण [कविता
    १०५ -सत्याकर्मी मनुष्य /अगस्त२५,१७/फरवरी १८,१८/ ------------
    १०६-सत्याकर्मी / -वही- / मई ३,२०१८ / हमारा संसार में प्रकाशित ३/५/१८
    १०७-होली (व्यंग रचना )/अगस्त२६,१७/ अलिखित / ------------
    १०८-धरा निराली /सितम्बर२,१७ /मई२८,२०१८/ ---------
    १०९- पर्वत बोले ?/-वही --- /सितम्बर३,२०१७/कोलाहल से दूर रूपांतरण [कविता
    ११०-मुक्तक /सितम्बर४,१७/ अप्रैल१३,२०१८ /हिंदी समय काम में १:५४ बजे
    १११- भारत दर्शन /सितम्बर५,१७/फर० १५,१८/ ----------
    ११२- मुक्तक /सित०६,१७/ अप्रै०१३,१८/ हिंदी समय काम १:५४ P.M. ,१३/४/१८ |
    ११३- खाई बढल / -वही- / -वही - / "सरयू तट से "और हिंदी समय काम १:५३ P.M.
    114-रघुनाथ-रावण / सित०८,११,१३,१४ ,२०१७/ अप्रैल१६,१८/ ------------
    ११५- यहाँ योगी से ऊपर योगी /सित० १५,१७/ साहित्य दर्शन में २८/३/१८ ,भेजा .व google+sukhmangal में प्रकाशित
    116-मर्यादा / सित१६,१७ /अप्रैल१६व २० ,२०१८/ सूरज की रोशनी फैलने तो दो !,अपनी बात आपके साथ ,मर्यादा जीवन का सत्य में टिप्पड़ी |
    ११७- जब पढ़ने जाता / सित१९,१७ / अप्रैल२९ ,१८/ ------------
    ११८-क्षणिका / सित२१,१७/ अप्रैल२५ ,२०१८ / ------
    ११९- मुक्तक / सित२२,१७ / अप्रैल२६ ,२०१८ / -------=----
    १२०- इनाम / सित० २३,१७ / मै०२,!०:०५ A.M. /-------------
    १२१-पृथ्वी दिवस /सितम्बर२५,१७/ सितम्बर२२,२०१८ / हिंदी वाटर पोर्टल ,फेसबुक
    122-हथियार /सितम्बर२६,१७ /अप्रैल४,२०१८ / ------------
    १२३- साहित्य / सितम्बर२७,१७ / अप्रैल२२,१८ / -----------
    १२४- मुक्तक / सितम्बर२८,१७ / जून ७,२०१७ / वाट्स समूह
    १२५- चीन / सितम्बर२९,१७ /मार्च१३,२०१८ /सूरज की रोशनी को फैलने तो दो !, ग्राउंड रिपोर्ट पर चेक - सेना
    १२६-चलती चली नदी /अक्तूबर२,१७ /फर० २१,२०१८/ google+sukhmangal
    127-क्षणिका / अक्बटूर३ ,१७ /अप्रैल२३,१८ /कन्हैया कुमार की पोष्ट पर
    128-एकता रचना / अक्टू ३ ,१७ / अप्रैल२३,१८ / प्रदीप राजन की पोष्ट पर
    १२९- भोजपुरिया / अक्टू० ५,७ ,२०१७/ अक्टूबर ४,२०१७ /स्वर्गविभा १०-४-१८
    १३०-ऊपर आकाश /अक्तूबर७,१७/ अक्तूबर७,२०१७/ कोलाहल से दूर रूपांतरण [कविता .8:42P.M.
    १३१-प्रतिबिम्ब कहाँ ?/ अक्तूबर७,१७ / अक्तूबर८ ,१७ / -वही - १:४६ A.M
    १३२- करवा चौथ कुशल क्षेम की दुआ /-वही १७ &३१,२०१७ / अक्टूबर ८,२०१७/ कोलाहल से दूर रूपांतरण समय १:५३ /google+sukhmangal
    १३३- व्यायाम /-वही -/ -वही- / कोलाहल से दूर रूपांतरण [कविता .१:३४ A..M.
    134-आदिकवि वाल्मीकि/ वही-/वही/कोलाहल से दूर रूपांतरण[कविता,१:३५ A..M.
    135-निखार /अक्टूबर१०,१७/अप्रैल९,१८/'मार्च १८से३०,२०१५ सोशल साइट पर सुखमंगल से लिखित वार्ता डायरी" आलेख में १०अप्रैल१८,६:५५ P.M.
    136-प्रमुख टिप्पड़ियां ,संकलन /अक्टूबर२२ ,१७/नवम्बर २२,१७ /प्रतिभा मंच,हिंदी विश्व संस्थान कनाडा आदि |
    १३७- मजदूर /अक्तूबर२४,१७ / अप्रैल२१,१८/"अपनीबात आपके साथ "व रामदीन की कविता में टिप्पड़ी |
    १३८- आलेख "(तीन अदद)/अक० २५,१७/ ----/"अपनीबात आपके साथ "सम्पादक सुखमंगल सिंह
    १३९-सूरज की किरणों से सीखें /अक्टूबर २८,१७/-------/"सरजू तट से "-सम्पादक सुखमंगल सिंह
    १४०-असल फसल/नवम्बर ६,१७/----/"भौरे गायें ये कवितायें"-सम्पादक सुखमंगल

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  12. १४१ -गौरैया /नवम्बर११,२०१७/ --- / विश्व गौरैया दिवस
    १४२-इतिहास बनाएं /नवम्बर१५,२०१७/मार्च१,२०१८/नवजीवन की अपनी कहानियां
    १४३-नेटवर्क काशी में / नवम्बर१७,२०१७/मई२४,२०१८/ गूगल प्लस सुखमंगल
    १४४- माँ का कर्ज /नव्म्बर२०,१७/ --------/"शान्ति -सद्भाव "
    १४५- पूर्वकाल से मेरा नाता / नवम्बर२०,२०१७/नवम्बर १८,२०१७/ डिसकसन सुखमंगल
    १४६- मैं धरा हूँ /-वही- / ------- / कोलाहल से दूर रूपांतरण [कविता
    १४७- कोणार्क.सूर्य मंदिर आलेख/नवम्बर२०,२०१७/जनवरी ८,२०१६/विकीवफेसबुक
    १४८-संगीत -सुरन माँ तान / नवम्बर२२,२०१७/जून८,२०१६/अनमोल साहित्यिक लड़ियाँ -सम्पादक सुखमंगल सिंह
    १४९- अनहदकृति में अंक ९;मार्च२३,वर्ष २०१५ /नवम्बर२३,१७ पर /मार्च२३,२०१५
    १५०-क्षणिकाएं /नवम्बर २४व २७ ,१७/ मार्च३१,२०१८ / स्वर्गविभा
    १५१-प्यार के घर / नवम्बर२५,१७/ जुलाई १,२०१७/ प्रकाशित अनहदकृति में
    १५२- अनहदकृति में अंक १६१ ;जनवरी८ ,वर्ष २०१७ /नवम्बर२८,१७/जन८,२०१७
    १५३-गंगा (व्यंग रचना )/नवम्बर२९,१७/ फरवरी २२,२०१८ /स्वर्गविभा
    १५४-नोट एक प्रचालन कैसे /नवम्बर३०,१७/दिसम्बर१९,२०१७/google सार्वजनिक
    १५५- अनहदकृति में अंक १६ ;जनवरी८ ,वर्ष २०१७/-दिस०१,१७/जन ०६,२०१७
    १५६- अप्रैल फूल दिवस / दिस २,१७ / मार्च ३,२०१८ /स्वर्गविभा
    १५७-क्षणिका / दिस४ ,१७/ दिसम्बर१९,२०१७ / स्वर्गविभा
    १५८-कविता दारू पीती है?/दिस०५,१७/ दिसम्बर०५,२०१७ /फेसबुक
    १५९- गंध रचना /दिस०६,१७/ अप्रैल२३,२०१८ / --वही--
    १६०-जूनियर हाई स्कूल छ: से आठ तक शिक्षा /दिस०७से२३ ,१७/मार्च०२,२०१८/ नवजीवन की अपनी कहानियां ९/३/२०१८ ,९ बजे
    १६१-एक गलती छोटी भी /दिस२८,१७/मार्च०९ ,२०१८ /-------
    १६२-झगडालू नारी /-वही- /अप्रैल२६,२०१८ / --------
    १६३-क्षणिका /दिस३०,२०१७ / -------वही-------- / स्वर्गविभा
    --------------------०००-------------------sukhmangal@gmail.com

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  13. हार्दिक शुक्रिया नवजीवन की अपनी कहानियां

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  14. मुरलीधर मोहि मुरली सुना
    श्री राम पधारे हैं।
    अयोध्या और मथुरा वासी
    हरि हर दुलारे हैं।।

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  15. इच्छा अपनी दोनों हम
    एक साथ सो जाए।
    बच्चे और बहू अपने
    आकाश मार्ग से आएं।।

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  16. "जीवन"-सुखमंगल सिंह'मंगल'
    जीवन तू कितना प्यारा;
    अच्छा मिला तो ते न्यारा।
    शास्त्र सहित काया तुम्हारे;
    कर्म-धर्म सब तेरे सहारे।।
    जीवजन्तु सबको प्यारे;
    वर्ना होते तू किनारे।
    घात में सारे-सारा;
    जीवन तू कितना प्यारा।।s.m.singh,01जुलाई2018सबेरे

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  17. "श्रीराम"-सुखमंगल सिंह'मंगल'पालीवाल
    प्रकटे कृपाला अवधपुरी,श्री रामचंद्र जी कहलाए।
    माया को संग किए रघुबर,शिवशंकर जी देखन धाए।।
    देव लोक हर्षित अवध नगरीसे,अगणित मनपुष्प बर्षाए।
    मेरे प्रभु श्रीराम जी प्रकट हो,अयोध्या नगरी में आए।।
    -s.m.singh,जून23,2018,03:30A.am.


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  18. "जिह्वा "
    जिह्वा सुनो मुझे बाप,
    तू किससे कहलवाती हो!
    जिसे मतलब नहीं किसी का
    क्यों तू सह जाति हो।।
    अभाओं में पाला - पोसा,
    पाल पोस उसे बड़ा किया।
    जो माने बात ना मेरी,
    तू कैसे सह सकती हो।।
    गलत सही बालक करते,
    पर बड़े माफ़ उन्हें करते।
    श्रद्धा विहीन बालकों को,
    कैसे जिह्वा सहती हो ।।
    धर्म कर्म ताख शाख,
    अपने मैं में रहते हों।
    मातृ पिता से ऐठन में,
    उनको भी तुम सहती हो।।
    - सुख मंगल सिंह ' मंगल '

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  19. समीक्षा -
    सुकवि सुखमंगल सिंह कृत इलेक्ट्रानिक मीडिया से प्रकाशित ' सुपाथेय षट दर्शन (चतुर्थ खण्ड ) को पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ | इस संग्रह को उन्होंने अपनी माता श्री और पिता श्री को सादर समर्पित किया है | इस कृति में समय-समय पर कवि द्वारा धार्मिक स्थलों ,संतों-महात्माओं के दर्शन आदि से ब्याप्त अनभव को पाठकों के साथ साझा करने का प्रशंसनीय प्रयास किया गया है | आज के यांत्रिक दिन चर्या और जीवन में शान्ति प्राप्ति का सुगम साधन ध्यान-दर्शन की साधना ही लाभकारी होगी, ऐसा ही हो,यही कवि की लोक कामना है |
    सुकवि सुखमंगल जी इस कृति के माध्यम से भारतीय संस्कृति ,सभ्यता ,धर्म, साहित्य ,कला आदि को निरंतर सशक्त बनाने की प्रशंसनीय पहल करते हैं | इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं | कृति पठनीय एवं संग्रणीय है |
    कामना है ,कवि का रचना संसार निरंतर वैचारिकता ,सामाजिकता और कलात्मकता से सतत समृद्ध हो,समुन्नत हो और राष्ट्रभाव से सराबोर हो |
    ० सुरेन्द्र वाजपेयी ० १४ जनवरी २०१९ ई.
    समीक्षक लेखक ,,व्यंग,नव गीत
    % हिन्दी प्रचारक संस्थान
    पिशाचमोचन ,वाराणसी -२२१०१०
    उत्तर प्रदेश - भारत

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  20. सन्देश-
    भाई श्री सुखमंगल जी !
    *आपका आज का आगमन अत्यधिक हर्ष प्रदान करने वाला लगा | कालीमहाल और पांडेयपुर का गहरा सम्बन्ध प्रेमचंद -प्रसाद के गहरे लगाव और नित्य प्रति दोनों के बेनिया बाग़ में टहलने से जुड़ा है जिसका साहित्य में ऐतिहासिक महत्व है |
    *आपने मुझे साथ जोड़कर अंतर्राष्ट्रीय स्टार पर जो काम किया है कर रहे हैं ,वंदनीय है | बड़ी बात तो यह है कि आप चौबीस घंटे ,सोते-जागते प्रत्येक दशा में सिर्फ साहित्य की सोचते हैं | अआप ऐसे दीवानों की कमी है | *जयशंकर प्रसाद जी अपने आवास के जिस मंदिर पर बैठकर लिखते रहे और साहित्य में अमरता प्राप्त की,हम दोनों मिलकर पूरे विश्व को लेखन के जरिये बताएं कलके काली महाल वाले जयशंकर प्रसाद आज कहा और किस स्थिति में हैं |
    अजीत श्रीवास्तव (चपाचप बनारसी )
    शिव कृपा :सी-४ /२०४ -१ कालीमहाल
    वाराणसी (उत्तर प्रदेश -भारत

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  21. समीक्षा -
    गूगल के क्षेत्रीय मार्गदर्शक (वाराणसी परिक्षेत्र ),सुकवि सुख मंगल सिंह की अनवरत साहित्यिक एवं पत्रकारिता कर्म व साधना का संग्रह 'ई - बुक ' के माध्यम से पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ ,प्रसन्नता हुई | मीडिया के आधार पर यह निर्विवाद सत्य है कि वर्तमान डिजिटल युग में सुख मंगल जी की वर्षों की श्रमनिष्ठा अधिक सफल हुई है | वह अपने संकल्प - सिद्धि की और सतत अग्रसर हैं ,यह काशी के काव्य जगत के लिए गौरव की बात है | संतोष की बात है | हर्ष की बात है |
    सुकवि सुख मंगल सिंह ने साहित्यिक ,सांस्कृतिक ,धार्मिक ,राजनीतिक आदि क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति और हिस्सेदारी कायम करते हुए अपना एक विशेष स्थान बनाया है | वह अपने रिर्पो ताज और ओज प्रवान राष्ट्रीय काव्य रचनाओं के लिए पूरे विश्व में पढ़े जाते हैं | यह उनकी असाधारण उपलब्धि है |वह निरंतर स्वाभिमानी और निराभिमानी रचनाशीलता व बहुमुखी प्रतिभा के धनी रचनाकार हैं | लोक मंगल के लिए सदैव तत्पर रहना उनकी प्रवृत्ति है | जो प्रशंसनीय है |
    इसके अतिरिक्त अन्य सारगर्भित ,उच्चस्तरीय ,वक्तव्यों ,व्यक्तित्यों से सुपरिचित कराने और अपने मानव धर्म, संस्कार, आचार -व्यवहार आदि को शोभनीय बनाने में 'साहित्य साधना (द्वितीय खण्ड ,ई -बुक )- सुखमंगल सिंह ' का प्रकाशन स्वागतेय है |
    आशा है, इससे प्रभावित होकर - पढ़कर नई पीढ़ी लाभान्वित होगी | प्रेरित होगी |
    मैं ,बंधुवर सुखमंगल जी की समृद्ध रचनाशीलता की मंगल कामना करता हूँ |
    सुरेन्द्र वाचपेयी
    (नवगीत ,व्यंग ,समीक्षक लेखक )
    द्वारा - हिन्दी प्रचार संस्थान
    पिशाचमोचन ,वाराणसी -२२१०१०
    (उत्तर प्रदेश -भारत )
    जनवरी १४,२०१९

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  22. "मानुष जन्म "
    -----------------------
    मैं कोई विद्वान नहीं ,
    विद्वता का पाठ पढ़ाऊँ !
    मैं कोई अज्ञानी नहीं ,
    अज्ञानियों मेँ अज्ञानी कहाऊँ ||

    सिंहों मेँ शानी नहीं ,
    ज्ञानियों मेँ ज्ञानी नहीं |
    मेरे देह - गेह मेँ,
    अशांति बैठी भी नहीं||

    मैं ध्रुव नहीं ,
    जो बन गमन करूँ !
    मैं राम नहीं कि,
    राक्षसों का वध करूँ ||

    मैं कृष्ण भी नहीं ज्यों ,
    गोपियों को वंशी सुनाऊँ |
    वृन्दावन मेँ उनके
    संग रास लीला रचाऊ||

    महाराजा पृथु नहीं ,
    मेरी पृथ्वी स्तुति करे |
    मैं ऋषि सनकादि नहीं ,
    महाराज पृथु सो उपदेश दूँ ||

    महाराज पुरंजन नहीं ,
    शिकार खेलने से रानी कुपित होगी |
    मैं राजर्षिभरत भी नहीं ,
    कि मृग योनि को पाऊँगा ||
    और ऋषि अंगि0 पुत्र कहाऊँ
    व्राहम्न कुल जन्म पाऊंगा |
    मैं इन्द्र भी नहीं ,
    ब्रह्म हत्या ले बिताऊँ ||

    मैं चित्रकेतु भी नहीं ,
    कि विश पान करूँ !
    वामन भगवान भी नहीं ,
    तीन पग मे ब्रह्मांड नापूँ ||

    मैं योग माया भी नहीं ,
    कंस बध की भविष्यवाणी करूँ |
    अधसुर- प्रलम्बासुर नहीं ,
    कि उद्धार की सोचूँ ||

    सुदर्शन - श्ंखचूर्ण नहीं ,
    जो उद्धार को सोचूँ |
    मैं अक्रूर जी नहीं ,
    ब्रज यात्रा पर जाऊँ||

    श्री कृष्ण की स्तुति में
    ही अपने को लगाऊँ|
    उद्धव जी की व्रजयात्रा -
    का वर्णन लोगों को सुनाऊँ ||
    मैं कोई विद्वान नहीं ,
    विद्वता का पाठ पढ़ाऊँ !
    उद्धव की गोपियों से बात ,
    और भ्रमर गीत गाउँ ||

    शाल्व - यादवॉ का युद्ध बताऊँ ,
    शाल्व उद्धार कराऊँ |
    मैं वसुदेव भी नहीं ,
    कृष्ण से ब्रह्म ज्ञान पाऊँ||

    यम नहीं कि देवकी के ,
    छ:pउटरों को लौटा लाऊं !
    मैं भक्ति हीं भी नहीं ,
    नारायन कि पूजाविधि कर न पाऊँ ||

    मैं मानव कुल में जन्म लिया,
    ज्ञानयोग कर्मयोग भक्ति योग सुनाऊँ !
    प्रलय के चारो प्रकारों से ,
    बचने का सुमार्ग दिखाऊँ ||

    क्रिया योग का वर्णन कर ,
    परमार्थ निरूपण करते जाऊ!
    राज्य- यूगधर्म और कलिकाल,
    में दोषों से बचते जाऊँ||

    भगवत कृपा सदा साथ ले ,
    संकीर्तन करते जाऊँ |
    मैं कोई विद्वान नहीं ,
    विद्वता का पाठ पढ़ाऊँ ||
    - सुखमंगल ,वाराणसी

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  23. समीक्षा :- कवि सुखमंगल सिंह की काव्य साधना (प्रथम खण्ड , ई बुक )
    ------------------------------------------------------------------------------
    गूगल के क्षेत्रीय मार्गदर्शक एवं वाराणसी के बहुचर्चित कवि सुखमंगल
    सिंह रचित यह संकलन कई दृष्टियों से सूचनापरक एवं पठनीय है |
    इसमें उन्होंने भारत की कुछ ऐतिहासिक घटनाओं, स्मारकों,मंगल-
    मूर्तियों के बारे में सचित्र जानकारियाँ दी हैं तो वर्तमान परिवेश की भी
    खोज - खबर को तिथिवार उद्घृत किया है | इससे आप पाठकों का ज्ञान-
    वर्धन होता है |राष्ट्र भावी योजनाओं , सरकारी घोषणाओं और राष्ट्रीय
    विकास को भी प्रस्तुत कर सकने में कवि ने सफलता प्राप्त की है |
    इन्हीं सामग्रियों के साथ - साथ कवि सुखमनंगल सिंह की अनेकानेक
    ओजस्वी कविताएं भी पाठकों का ध्यान आकर्षित करती हैं जिनमें राष्ट्र
    भाव ,राष्ट्र भक्ति , सामाजिक समरसता और पर्यावरण वचन और शुद्ध
    रखने की गूँज सुनाई पड़ती है | कवि मानवतावादी सन्देश का प्रचारक
    है |
    अतः प्रेम, सौहार्द ,सेवा ,सहयोग जैसे भावों के उत्थान एवं समृद्धि हेतु
    वह प्रतिबद्ध दिखाई पड़ता है जो प्रशंसनीय है |
    आशा है , इस कृति के माध्यम से कवि सुखमंगल सिंह विश्व स्तर पर
    भारतीय दृष्टिकोणों के प्रति ध्यान आकर्षित करेंगे |
    कामना है,कवि का रचना संसार व्यापक और अधिक से अधिक सुदृढ़
    हो |



    हस्ताक्षर ,सुरेन्द्र वाजपेयी ,

    -- समीक्षक लेखक ,,व्यंग,नव गीत
    % हिन्दी प्रचारक पब्लिकेशन्स प्रा ० लि ०
    सी २१/३० पिशाचमोचन ,वाराणसी -२२१०१०
    उत्तर प्रदेश - भारत

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  24. नदी
    सभ्यता के डोर से चलती चली नदी,
    ओर छोर तोड़कर चलती चली नदी ।
    प्यासे को पानी दे सहती चली नदी,
    लोगों की मनमानी ढहती चली नदी।
    पत्थरों को काटती बीहड़ों को छांटती,
    घाटियों को पार कर बहती चली नदी।
    धूप छांव सहती नदी नाले में ढहती,
    सरहद मचलते हुए चलती चली नदी।
    - सुखमंगल सिंह, अवध निवासी

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  25. वसुधा कौन बचाएगा
    अब वसुधा को कौन बचाने आएगा,
    सीना अपना फाड़ दिखाते - जाएगा!
    जहां न्याय के दरवाजे कांटे बबूल -
    फैसले न्यायालय में रौदे जाते हों ?
    वसुधा को अब कौन - - ।
    कृष्ण कर्म की गाथा की कसमें खाते,
    अवला नारी धरा पर रौदी जाती -
    जहां सिखंडी युद्ध समर के नारे गढ़ते।
    शान्ति पर बोली की गोली चलती -
    उस वसुधा को कौन - - ।
    नफरत के खंजर लेकर लोग दौड़ते,
    मान्धाता नागफहनी के कांटे बोते -
    जहां धर्म और मजहब की बातें होती,
    सिसक - सिसक कर मंगल मानवता रोती।
    उस वसुधा को कौन बचाने आएगा - ।
    - सुखमंगल सिंह, अवध निवासी

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