बुधवार, 24 अगस्त 2016

दादा ! हिंदी साहित्य

दादा तुझे ना देखा फिर भी
याद तुझे कर लेता हूँ |
स्वर्ग गए वा जन्म लिए
कौन किसे देखा है |
लेकिन पिता जी तुझको
पात्र समझकर कर
पत्र लिख रहे मनमाना |
दादी तुझे बुलाती होंगी
जाना है या अनजाना |
कुछ तो बताते जा जहां
बन बैठे हो अनजाना |
दादी मुझपर ध्यान करो
पोता तेरा मनमाना ||