शनिवार, 21 अप्रैल 2018

रचनाकार: सुखमंगल सिंह ‘‘मजदूर''

"मजदूर "

नौकरी करता है

देश पर मरता है

उ चिंतन करता है

दुःख भी हरता है |

खुशहाल रहता है

बहाल रहता है

निहाल रहता है

देश पर मरता है|

दुःख को  सहता है

देश पर मरता है |

वह चिंता करता है

दुःख भी सहता है

देश पर मरता है |

दुश्मन से लड़ता है

अपना समझता है

वीरता करता है

देश पे मरता है ||

देश भक्ति का गीत गाता

काम पूरा करता है |

मगर देश की कसम खाता

परदेश से लड़ता है |

करता मजदूरी मजदूर

मनन राष्ट्र पर करता |

पर पत्नी पीहर छोड़ चला

देश के खातिर मरता है ||

नोट - अहीर ,उल्लाल और मालिनी छंद पर

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

चीन !

चीन !

चौदह देशों से घिरा ,सभी देश से लड़ता आया 
महाभारत सी आबादी वाला देश कहाता आया |
सीमाजल से सटी जापान दक्षिण कोरिया लगी 
वियतनाम औ फिलीपीन से सटा सीमा है पाया |
किरगिस्तान कजाकिस्तान ताजिकिस्तान और
भूटान अफगानिस्तान म्यामार खलल मचाया |
पाक - नेपाल भारत से लड़ने का मन है बनाया