"अयोध्या ,व्रह्मसृष्टि रजधानी "
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सुनो! सुनायें सुखमंगल
अयोध्या की तुम्हें कहानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी
कैलाश पे प्रसन्न ,शिव - चित्त देख
पार्वती ने पूछा ,अयोध्या इतिहास
अयोध्या शब्द का भेद है ख़ास
इसमें व्रह्मा, विष्णु ,शिव -निवास
यहीं से मिलता सभी जीव को
कपड़ा -लत्ता - भोजन पानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी
दाएं भाग में श्री सरयू जी के
बसी हुई है प्रिये ! अयोध्या
अयोध्या महिमा के बखान की
शारदा में भी नहीं है क्षमता
अयोध्या है वैकुण्ठ की
इसका नहीं है कोई शानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी
मनु महाराज ने अपनी सृष्टि का
मुख्य कार्यालय इसे बनाया
परम मुक्ति धाम अयोध्या में
प्रभु श्रीचरण प्रथमतः आया
इसे विष्णु का मस्तक कहते
संत- मुनि- ऋषि औ ज्ञानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी
कोई शत्रु जीत न पाये
इसीलिए है नाम अयोध्या
विहार स्थल श्री सीता राम का
शक्ति यहां पे बनी थी शैब्या
सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की
जुड़ी है यहीं से अमर कहानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी
चक्रवर्ती दशरथ आँगन में
सुन्दर सीता कूप है बना
इसमें नहा लेने मात्र से
पूरी होती सभी कामना
स्थान की यहां ऐसी महिमा
भिक्षुक भी हो जाता दानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी
व्रह्मा ,बुद्धि से ,विष्णु चक्र से
मैं त्रिशूल से करता इसकी रक्षा
श्रद्धा से जो आते ,सरयू में नहाते
सभी यहां पाते ज्ञान धन शिक्षा
शिक्षित होकर सृष्टि में
बन जाता बड़ा ज्ञानी
अमरपुरी बनी अयोध्या
व्रह्मसृष्टि की रजधानी |
-सुखमंगल सिंह (अयोध्या निवासी )
शब्दार्थ :- शैब्या - अयोध्या के, सूर्यवंशी अट्ठाईसवें राजा हरिश्चंद्र की रानी