शनिवार, 21 अप्रैल 2018

रचनाकार: सुखमंगल सिंह ‘‘मजदूर''

"मजदूर "

नौकरी करता है

देश पर मरता है

उ चिंतन करता है

दुःख भी हरता है |

खुशहाल रहता है

बहाल रहता है

निहाल रहता है

देश पर मरता है|

दुःख को  सहता है

देश पर मरता है |

वह चिंता करता है

दुःख भी सहता है

देश पर मरता है |

दुश्मन से लड़ता है

अपना समझता है

वीरता करता है

देश पे मरता है ||

देश भक्ति का गीत गाता

काम पूरा करता है |

मगर देश की कसम खाता

परदेश से लड़ता है |

करता मजदूरी मजदूर

मनन राष्ट्र पर करता |

पर पत्नी पीहर छोड़ चला

देश के खातिर मरता है ||

नोट - अहीर ,उल्लाल और मालिनी छंद पर

14 टिप्‍पणियां:

  1. रष्ट्र के प्रति प्रेम करने से जहां देश सुरक्षित रहता है वही सुन्दर समाज का निर्माण होता है।

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  2. "मोदी"(राधिका छंद)
    मोदी का हर काम निराला लगता है
    दुश्मन को तो काला-काला दिखता है।
    अपना अलख देश औ परदेश जगाया
    निज देश क मान जहान तलक फैलाया।
    बेरोजगारी पर नीति आयोग बैठाया
    श्रम विभाग नौकरी लाने वाला है।
    छूटेगा रोजगार गर - डाटा होगा
    जबाब हाॅ-ना में सबको देना होगा।
    भटकेगा न कोई नही रोना होगा
    नयी योजना नव काम बनाने वाला।
    अपना अलख विश्व फलक फैलाने वाला
    राष्ट्रीय मर्यादा जहां बचाने वाला।
    मोदी का सब काम निराला लगता है
    दुश्मन को तो काला-काला लगता है।।(S.M.Singh,07/7/2018 ,07A.M.)

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  3. "डाटा "
    सडको पर मछलियां तैरती वह दिन भी देखा था
    रीढ की हड्डी खिसक रही उस दिन को देखा है।
    लोगों के घुटने टूट रहे वह दिन भी सबने देखा था
    पकडंडी सी धूल उड रही वह आंधी भी सहा था ।
    यूरिया खाद के लिए भटकाव वह दिन भी देखा है।
    मनमानी का शासन चलता वह दिन सबने देखा है
    सडक किनारे स्लास्टर चलते वह दिन मै ने देखा है।(8/7/2018 -S.M.Singh,'Mngal)

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  4. शुद्ध कर पढ़े रचना"मोदी"दिनांक space5/7/2018 और रचना space"डाटा"दिनांक 6/7/2018 को लिखी गुई है।

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  5. "इच्छा"-सुखमंगल सिंह'मंगल'
    इच्छा मेरी/
    धरा के भीतर/
    पाताल तक/
    जाऊॅ !
    और फिर/
    गगन तक/
    उड आऊॅ !
    भीतर-ऊपर,
    के मध्य/
    आभा नई/
    लाऊॅ ।
    और आकाश/
    धरातल फलक पर,
    फैला जाऊॅ।।
    S.m.singhjun28,2018

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  6. "रघुवर की माया "
    लखि अर्जुन श्याम के मुख में विश्वविदित थी माया ।
    विस्मय और अचेतन मन युद्धभूमि को चल दी काया॥
    देवकी नंदन बोल पड़े जो यह है खड़ी -पड़ी छाया ।
    मरकर जीवित दीखते हैं निज आँखें देख रही माया।।
    हो अपना और पराया कहते है नयनों पर परदा छाया ।
    जिनको -जिनको जाना जीवित रघुवर की सब माया ॥-सुखमंगल सिंह 'मंगल ' पालीवाल

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  7. "बेइलिया तरवां (पचरा )
    -------------------------
    बारह बरसवा क उकठल बेइलिया
    बेइलिया तरवां ना
    देवी लेहनी बसेरवा
    बेइलिया तरवां ना !

    मलिया के पुरवा मइया
    गरभे - गुमनवां ,
    बेइलिया तरवां ना !

    हरवा गांछी ना लेअइलें
    गरभे - गुमनवां ,
    बेइलिया तरवां ना !

    आजु की रतियाँ
    बसी जा देवी मइया
    हो की होत भरवां ना ,
    हरवा हमहीं ले ाइबैं
    की हॉत भरवां ना |

    कोहरा के पुतवा मइया ,
    गरभे - गुमनवां ,
    बेइलिया तरवां ना !

    कलशा गढ़ी ना ले आइलै
    गरभे - गुमनवां, ,
    बेइलिया तरवां ना !

    सोनरा के पुतवा मइया
    गरभे - गुमनवां, ,
    हो बेइलिया तरवां ना !
    नथिया गढ़ी ना ले अइलें
    हो बेइलिया तरवां ना

    देवी लेहनी बसेरवा
    बेइलिया तरवां ना !!
    शब्दार्थ: -उकठल -सुखी हुई ,बेइलिया -बेला फूल
    -- सुखमंगल सिंह १५/७ /२०१२,१०/१०/२०१९

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  8. "गंगा को बचाना "!निर्मल  रखकर गंगा  बचाना होगा ,गंगा जिस दिन पाताले चली जाएंगी !मानव जीवन पर आफत आ जायेगी ,फिर राजनीति रहेगी  न कोई बहाना | गंगा को है हम सभी को मिलकर ही ,स्वच्छ -निर्मल रखकर उन्हें बचाना | -सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी "Save the Ganges"! The Ganges will have to be saved by keeping it clean, the day the Ganges will go away, the human life will suffer, then there will be no excuse for politics. Ganga has to protect all of us together, keeping them clean and soft. Sukhmangal Singh, resident of Awadh

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  9. "श्री राम जन्म क्षेत्र धाम "
    ------------------------------
    राम जी के आँगन बाज्यों बधाई
    सुपथ न्याय न्यायपालिका लाई |
    लगती रही क्लास गली मुहल्ले
    होता रहा कि हिन्दू इतने भोले !
    चौदह वर्ष राम बनबास में झेले

    सहस्त्र आधे -साधे टेंट में खेले !
    जब तक श्री राम जन्म स्थान
    गुंबज था खड़ा मंदिर निशान |
    नोट ,रूपया भरा जन्म स्थान
    रखवारी करती सेना मेरी महान |
    आतंक के आए ऊपर काले बादल
    सुरक्षा कर्मियों ने विनष्ट किया !
    भक्त देश विदेश से आते जाते
    प्रभु का गुण सुनते और सुनाते |
    आर एस एस सहित मिलकर
    पूरी जनता ने कमाल कर दिया !
    संत ऋषियों की भावना का और
    शहीद भक्तों के लिए जान भर दिया |
    सच सदा सत्य ही होता आया
    अंधकार पर प्रकाश लहराया |
    संसद के गलियारे से रामभक्त
    कल ही फरियाद सुनाया |
    बुद्धवार का दिन मेरा जन्म दिन
    मुझको दिन का याद दिलाया |
    परमात्मा के नामों का संकीर्तन
    कानों को मेरे जब सुनाया |
    नाम से जिसके मुक्ति मिलती
    सभी पाप दूर भाग हैं जाते !
    ऐसे श्री राम का एक ट्रस्ट
    प्रधान मंत्री संसद से सुनाते |
    पंद्रह सदस्यीय समिति का
    नया गठन एक किया गया |
    भावी बनेगा श्री राम मंदिर
    दूरदर्शन आदि से सबने सुना |
    जय जय जयजयकार गूंज से
    देश की जनता ने खुशियाँ बांटीं|
    धन्य धरा 'मंगल' गुण गाये
    गगन मगन, तारे गीत सुनाये |
    कोयल भी मीठी बोली में
    सिया राम को नमन किया|
    घर का तोता राम राम रट,
    रटते- रटते प्रभु भजन किया|
    नदियों की लहरों ने सुमधुर
    धुन में उनका सत्कार किया |
    तट किनारे बैठे कागा ने भी
    मनोहारी नवनृत्य किया|
    गायों के थन से दूध लगा बहने
    बछड़े भी लगे कुलांचे भरने |
    पवन और पेड़ों ने मिल कर
    गाये सुंदर - सुमधुर गान |

    अयोध्या -अयोध्या का मान
    मौसम में भी आया नया जान|

    *
    कीट पतंगे शांत भाव से
    मौन साधना साधने जाते |

    विश्व जगत कल्याण की
    मन ही मन वे गुनगुनाते |
    राष्ट्र भक्ति सम्मान की
    प्रभु श्री के राम नाम की
    श्री राम क्षेत्र ,सरयू धाम की
    मेरी अयोध्या महान की |
    -सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी

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  10. भारत के प्रधान मंत्री -
    पीएम केयर फंड में योगदान देने में ... - Hindustanwww.livehindustan.com › business › story-public-comp. खाते

    दान का धन सरकारी खाते में
    पी एम,सी एम खाते में देकर,
    जन कल्याण करें!
    यही मानव का,
    उत्तम धर्म कर्म है !
    जरूरतमंद का कल्याण होगा

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  11. "तड़ी लड़ी ताड़ चढ़ी "

    नारी ज्यों सिर चढ़ बांचे
    ऋषि-मुनि थरथर कांपें !
    नारी के अवगुण आंके
    देव- गंधर्व बगली झांके |
    लक्ष्मी घर से दूर भागें
    सकल समाज द्वार ताके |
    कुबुद्धि खड़ी कोठिला जांचे
    भूत-पिसाच हो जाते बांके |
    धार्मिक पोथी कोना झांके
    औ अधर्म घर सारे आंके |
    होठ में कम्पन आँखें लाल
    पति को जैसे दिखती काल |
    मुखमण्डल क्रोधित गाल
    तड़तड़ बोली बिन सुर ताल |
    तड़ी लड़ी ताड़ चढ़ी
    ढाल बिना तलवार चली |
    जबकि सद्गुण होते अपार
    लज्जा सहनशील व्यवहार |
    संत कह गये नारी ताड़
    बिनु ताड़े ना मिलिहै खांड | |
    -सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी
    शब्दार्थ -तड़ी - धोखा,छल | ताड़ -ऊँचा दरख्त (ताड़ी देने वाला ) ताड़ - देखना (मध्यप्रदेश की बोली)|

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  12. "हथौड़ा "
    देश अपना प्रदेश में मान बढ़ाने आया ,
    धुंधली रेखा -गरीबी छोड़ चमकाने आया ?
    योजनाओं का बंद पिटारा खोलने आया ,
    भ्रष्ट व्यवस्था पर हथौड़ा मारने आया | 
    जाए रोटी के वे लाले किसान का मान बढ़ाया ,
    निर्धन जन को वह ज्योति पुंज किरण दिखाया !
    विद्दुत व्यवस्था से जो व्याकुल थी यह काशी ,
    एक सुन्दर सौगात ला गुजराती ने दिलाया | 
    शहर बनेगा मान शान का है वह बतलाया ,
    दुनिया करेगी गुणगान जिसे उसने सुनाया !
    विश्व का प्रतिमान दिखाने जिन्हें काशी लाया ,
    काशी का गुणगान करते वह भी नहीं अघाया |  

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  13. "पानी और जिंदगानी "- sukhmangal singh
    पत्ता तुलसी का करें प्रतिदिन ही उपयोग ,
    उम्र कभी घटती नहीं , कोई काया न रोग |
    नहायें न गर्म जल कभी ,तन मन कर मजबूत
    चाय कोल्ड्रिंक सुरा तन ,करता है कमजोर ||

    गर नहायेंगे गर्म जल ,तन होगा कमजोर
    नयन ज्योति फीकी पड़े ताकत घटे चहु ओर |
    गर्म जल ढाये सितम,जदि करोगे स्नान
    आत्म बल घटता दिखे ,अँखियाँ हो नुकशान ||

    पानी पीजिए गुनगुना ,ऊर्जा देय बढ़ाय
    पेट को रखता साफ ,कव्ज देता भगाय |
    पीजिये पानी बैठकर ,रोग न फटके पास
    गठिया व अर्थ्रराइज,अपेंडिकस जाय भाग ||

    कब्ज और एसिडिटी ,आये नही नजदीक
    पानी पीजिये घुट- घुट ,मन तनाव से दूर |
    पानी ठंठा पिये जो, हॉवे क्रूर प्रहार
    हजम नहीं हो भोजन गैस बने अपार ||

    सुबह सुबह नीर पीजिये ,तन हॉवे न पीर
    तीन गिलास पानी ,औषधि विनु धीर |
    पत्ता तुलसी का करें प्रतिदिन ही उपयोग ,
    उम्र कभी घटती नहीं , कोई काया न रोग ||

    - अभियान नवगीत "-sukhmangal singh
    बांधे सर पे मस्त पगड़िया
    राह कठिन हो,चलना साथी
    दुराचार ख़तम करने अब
    उतार चलो काँधे की गाँती
    आन ,बान और शान हमारे
    अच्छे- सच्चे हैं वनवासी
    दिलों - दिलों को दर्द बताने
    महफिल - महफिल खड़ी उदासी
    आँखें भर - भर
    उठती हैं
    मां जब अपनी कहर सुनाती
    बांधे सर पे ................
    जोते - बोये ,कोड़े -सींचे
    धरती में अपना खून -पसीना
    फसलें हरी भरी लहरायें
    हर्षित हुआ कृषक का सीना
    सभी घरों में पेट को भरते
    बेटे ,पोते, नतिनी -नाती
    बांधे सर पे..................
    घर- आँगन का नन्हा बच्चा
    नाचे ,झूमे और इठलाये
    वहीं ,किसान का बेटा ,सीमा पर
    हंसते - हंसते गोली खाये
    संबंधों की स्मृतियों संग
    आँखें खुली -खुली रह जातीं
    बांधे सर पे मस्त पगड़िया
    कठिन राह पे चलना साथी |
    - सुखमंगल सिंह,अवध निवासी

    "करवा चौथ "- सुखमंगल सिंह

    भूखे रहकर निर्जला स्त्रियाँ रखतीं है ब्रत,
    भारत को देख इसी लिये सब रहते हत प्रध |

    वी. डी. ओ. कालिंग से तोड़ते अपना ब्रत,
    प्रियतम को पाकर प्यारी भी हो गई हकवत |

    निराजल ब्रत रहकर भूखे दिन बिताये शक्त,
    कृपा प्रभु हो गोल्ड मेडल ले आये भक्त |

    भारत यूं ही नहीं संस्कृति पर भरता है दंभ,
    सभ्यता संस्कृति संस्कार उसका है अवलम्ब |

    परम्परा और प्यार का प्रतीक करवा चौथ,
    देश -परदेश मन बहलने लगा करवा चौथ |

    गुनगुना रहा है गीत- संगीत रात का चाँद,
    चुडिया- कंगना सजने लगी है करवा चौथ |

    बीती रात को ही प्यार समझाने लगा चाँद,
    सुहाग सुहावन सुखद दीप जलाने लगा चाँद |

    चांदनी रात में प्रेमी-पिया मिलाने लगा चाँद,
    भूखे -प्यासे को 'मंगल' प्यार लुटाने लगा चाँद ||

    सुखमंगल सिंह
    "ऐसा जतन करें "- सुखमंगल सिंह
    चूल्हा - चौका रोटी पानी /
    घर -घर यही कहानी/
    भूखा पेट कोई मिल जाये /
    आओ उसे भरें /
    हरी -भरी हो सबकी बगिया /
    ऐसा जतन करें |
    गाँव ,गली ,चौबारे गूंजे /
    तुलसी औ कबीर की बानी /
    चूल्हा चौका रोटी पानी। ........
    हर चौखट दरवाजे गायें /
    शुभ-शुभ मंगल गीत /
    शत्रु अगर कोई दिख जाये /
    वह भी बन जाये मन मीत |
    बूढ़ा मन महसूस करे कि /
    आई लौट के पुनः जवानी /
    चूल्हा -चौका रोटी -पानी ||
    38- " अपनी अंजुरी में भर भर "
    तीतर के झुंड पर /
    फेंकना न कोई पत्थर /
    प्रीति का सन्देश भेजा /
    हर गली हर गाँव को /
    धुप उतरी हो कड़ी तो /
    कोशिशों से छाँव दो |
    कल ये नव गीत मुखर हो /
    हर चौकट आँगन में घर घर /
    तीतरों के झुंड पर.........
    धैर्य और साहस के बूते /
    हर विपत्ति को दूर भगायें /
    हो उल्लास भरा मन प्रतिपल /
    आलस्य फटकने कभी न पाये |
    सब को खातिर खुशियां बाटें /
    हम अपनी अंजुरी में भर भर ||
    -सुखमंगल सिंह, अवध निवासी

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  14. "चिराग जलाना चाहिए"
    सिल गए हों होठ तो भी गुण गुनना चाहिए
    अब पिटारी से कोई खुशबू निकल नहीं चाहिए।
    बदबू नुमा इस शहर की अब शाम चलनी चाहिए
    खट्टे मीठे सभी स्वाद को भी बदलना चाहिए।
    रहनुमा सारे किनारों को मचलना चाहिए
    ऊंची सियासत बहुत बड़ी अब समझना चाहिए।
    विद्रोह की ज्वाला नगर के जतन करना चाहिए
    जनता की सारी समझ को खुद समझना चाहिए।
    बुझ चुकी बस्ती के चिराग पुन: जलने चाहिए!
    जलते दीपक महलों में दिल में भी चलना चाहिए।
    गांव के सारे शहर को फिर अन्य मिलना चाहिए
    अमन हो स्वदेश सारा रहमो करम होना चाहिए।।
    - सुख मंगल सिंह अवध निवासी

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