मंगलवार, 28 जून 2016

दास्ताने सतहत्तर

"मन ही मन में  गाता"

पहने पनही पाँव की ,
घर छोड़ चला जाता |
फटे हाल जूता पुराना ,
पहन के चला आता |
कितना प्रेम ह्रदय में ,
उमड़ता भाई  नाता|
गिरिजा नंदिनी गीत,
मन ही मन में  गाता ||  

2 टिप्‍पणियां:

  1. "गम छोड़ चला "
    अपनों से साथ रखना ,
    केवल गम का इलाज करना |
    रिश्तों के पास अपना ,
    वे लम्हे निकल- बिकल गये |
    जीवन में देखा सपना ,
    सभी धू धू के जल जलते गए |
    मंगल कहाँ तक जपता,
    जब सबके सब फिसल गये |
    जिनके लिए हाँफता,
    माजरा वे नित पूछते रहे|
    सारे गम छोड़ चला ,
    तो साथ-साथ लग चले ||

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  2. "जय हिन्द "
    जय हिन्द हमारा नारा है ,
    दुश्मन नें हमें पुकारा है ?
    हममें देश भक्ति धारा है ,
    कण-कण ने हमें दुलारा है |
    वन्देमातरमहमें प्यारा है ,
    जहां में सबसे न्यारा है ||

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