इतिहास बनाएं
नई-नई तकनीक लाकर , खेती को सुगम बनायेंगे
मृदा परीक्षण कराकर ,खेत से दूना अन्न उगायेंगे ||
स्टार्ट अप को अपनाकर ,सहकारिता गुर सिखलाएंगे |
जन-जन को जगाकर ,स्टैड़प अप को अपनाएंगे ||
जागरूकता फैलाकर ,खेती समृद्ध बनायेंगे |
भूखा नहीं रहेगा कोई ,विश्व में परचम लहरायेंगे ||
आई .आई टी.ई. बनाकर ,गोशाला कदम बढ़ाएंगे |
इज्जत घर बनवायेंगे ,आई.आई.एम् भी बढ़ाएंगे ||
झोपड़ियों के दिन बहुरेंगे, पक्के घर भी बनायेंगे |
रोजगार सृजित करायेंगे ,सोना कृषक उगायेंगे ||
गंगा-गौरी-गाय-महत्ता ,दुनिया को समझायेंगे |
विकास होगा हस्त शिल्प का,बैंक में पैसे जायेंगे ||
गति तीब्र होगी भारत की,आर्थिक विकास बढ़ाएंगे |
इतिहास का पन्ना अपना होगा,आगे भारत ले जायेंगे
मृदा परीक्षण कराकर ,खेत से दूना अन्न उगायेंगे ||
स्टार्ट अप को अपनाकर ,सहकारिता गुर सिखलाएंगे |
जन-जन को जगाकर ,स्टैड़प अप को अपनाएंगे ||
जागरूकता फैलाकर ,खेती समृद्ध बनायेंगे |
भूखा नहीं रहेगा कोई ,विश्व में परचम लहरायेंगे ||
आई .आई टी.ई. बनाकर ,गोशाला कदम बढ़ाएंगे |
इज्जत घर बनवायेंगे ,आई.आई.एम् भी बढ़ाएंगे ||
झोपड़ियों के दिन बहुरेंगे, पक्के घर भी बनायेंगे |
रोजगार सृजित करायेंगे ,सोना कृषक उगायेंगे ||
गंगा-गौरी-गाय-महत्ता ,दुनिया को समझायेंगे |
विकास होगा हस्त शिल्प का,बैंक में पैसे जायेंगे ||
गति तीब्र होगी भारत की,आर्थिक विकास बढ़ाएंगे |
इतिहास का पन्ना अपना होगा,आगे भारत ले जायेंगे
डा ० विश्वनाथ प्रसाद नई पीढ़ी के रचनाकारों के निर्माता और प्रतिष्ठापक साहित्यकार !-सुखमंगल सिंह
जवाब देंहटाएंवाराणसी/अक्टूबर ०१,२०१७ ! डा ० विश्वनाथ प्रसाद कीर्ति शोध संस्थान की ओर से आयोजित उनकी नवी पूण्य तिथि पर अपने विचार प्रकट करते हुए वरिष्ठ समीक्षक प्रो ० श्रद्धानंद ने कहा की विश्वनाथ जी ने हिंदी की सभी विधाओं को प्रभावित करने के साथ -साथ नये रचनाकारों को संवारने और स्थापित करने का महत्वपूर्ण काम किया | वरिष्ठ कवि और समीक्षक डा ० देवी प्रसाद कुवर ने कहा की राम की आस्था की परम्परा मानने वाले विश्वनाथ जी ,समाज के विराट रूप को राममय देखते थे | चर्चित गीतकार सुरेन्द्र वाजपेयी ने कहा- विश्वनाथ प्रसाद जी जीवन के अंतिम क्षण तक अपने भावों को कागज पर उकेरने का कार्य करते रहे |इसी क्रम में डा ० अशोक कुमार सिंह ने उन्हें नई पीढ़ी का निर्माता बताया | वरिष्ठ पत्रकार हिमांशु उपाध्याय
ने बताया काशी के नये और तेजस्वी रचनाकारों के प्रेरणाश्रोत रहे |
वरिष्ठ व्याकरण वेत्ता श्री सोभनाथ त्रिपाठी ने साहित्य के प्रत्येक कोण पर उनहोंने साधिकार कलम चलाई | अखिल भारतीय सद्भावना एसोसिएशन के अध्यक्ष कवि सुखमंगल सिंह ने कहा -डा ० विश्वनाथ प्रसाद जी
के साथ काव्य गोष्ठियों में मुलाक़ात को साझा करने के साथ कहा कि डाक्टर साहब की सोच ने साहित्य को विश्व फलक पर पहुचाने का कार्य किया | कार्यक्रम संचालक नवगीत गौरव अजीत श्रीवास्तव ने अपने साहित्य के माध्यम से समाज को खबरदार करने के साथ नई पीढ़ी के लिए कहा -डा ० विश्वनाथ प्रसाद जी ने जबरदस्त संघर्ष किया | अपर आयुक्त (प्रशासन )और वरिष्ठ गीतकार श्री ओम धीरज ने कहा - विश्वनाथ प्रसाद जी ने माटी से उपजे विचारों को ही भारतीयता मानते थे | पूर्व जनपद न्यायाधीश एवं वरिष्ठ गज़लकार श्री चन्द्रभाल सुकुमार ने मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए डा ० विश्वनाथ प्रसाद को साहित्य का सच्चा साधक बताया |
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डा ० रामसुधार सिंह ने कहा - डा ० कि विद्यानिवास मिश्र और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की ललित निवन्ध परम्परा की अंतिम कड़ी से डा ० विश्वनाथ प्रसाद ! प्रोफेसर सव्यसांची ने कहा कि विश्वनाथ जी के लगभग सभी शिष्य आज साहित्य जगत के प्रतिष्ठित हस्ताक्षर हैं | श्री चिंतित बनारसी इन्द्रजीत तिवारी और नरेन्द्रनाथ दुबे अडिग ने डा ० साहब को एक महान साहित्यकार कहा |
आभार प्रकाश करते हुए डा ० सीमांत प्रियदर्शी ने डा ० विश्वनाथ प्रसाद जी को २१ वीं सदी का बड़ा रचनाकार कहा |
"साथी पास मेरे "
जवाब देंहटाएं------------------
मेरा साथी मेरे पास
हेर रहा मन वर्षों ख़ाक
पर्वत -खाड़ी और ताल
ढूंढा बनी न बात |
ढूंढ रहा दिल बन बंजारा
प्रकृति का केवल ले सहारा
मौसम कितना आवारा
साथी न है बेचारा |
मन पागल दिल ढूंढ रहा
गली -मुहल्ला छूट रहा
तूफान उठा याद पड़ा
साथी मेरे पास खड़ा ?
बदनाम मुझे दुनिया करती
अश्कों में यह दुनिया पलती
बेरुख पवन से कहता
साथी मेरे पास अड़ा ||
"साजन "
जवाब देंहटाएंसाजन बेस परदेश
सूनी - सूनी लगे
नाचे गायें घर चौबारे
नगरी नगरी द्वारे द्वारे
जहर लागे हंसी ठिठोली
सून सून लागे होली !
चारो और रंग बरसे है
मेरा सूखा मन तरसे है
खाली अबीर गुलाल झोली
सूनी सूनी लागे होली |
आँखे सबकी ,खुशियां वांचे
पीली पीली सरसो नाचे
रंगीले परिधान में टोली
सूनी सूनी लागे होली |
होड़ मची कमचोर बली में
हुड़दंगी है गली गली में
अपनी तो है रवानी होली
सूनी सूनी लागे होली ||
- सुखमंगल सिंह